कल तक जो हल्ला मीडिया में व्यापम
घोटाले को लेकर मचा था उस में सच्चाई की कई पर्तें सुनाई एवं देखने को मिलीं। अब तो
ऐसा लग रहा है कि जैसे स बी आई इस महाविनाशकारी घोटाले में पर्दाफ़ाश कर के सच्चाई को
जल्द ही कोर्ट में प्रस्तुत कर देगी। ऐसा तो न आज तक हुआ है और न ही मुझे कोई उम्मीद
भी दिखती है,
क्यों ? इस के कुछ कारण मैं यहां
पर पेश करना चाहता हूं।
आप जिस सी बी आई को मध्य प्रदेश
भेज रहे हैं या जिस को आप काम करते हुये यहा पर देखेंगे उस को किस हद तक मध्य प्रदेश
की आर टी आई एक्टीविस्ट शहला मसूद की निर्मम हत्या
का कार्य सौपा गया था। इस केस में क्या हुआ कि जो सरकार के एक मंत्री से पूछ ताछ के
बाद भी उन्हे इस केस का अभियुक्त नहीं बनाया गया। इस पूरे के पूरे केस को शहला के व्यक्तिगत
जीवन से जोड दिया गया और उनके ही परिवार के लोगों को जेल भेज दिया गया। शह्ला के परिवार
के लोग भी अब शांत हो गये और यही मीडिया उन्हें भी भूल चुका है। इस से यह तो साबित
होता है कि राज्य की पुलिस नें वो सारे सबूत को केस को कमज़ोर करने के लिये दिया।
सबूत जो की किसी भी केस के हल
होने के लिये आवश्यक होतें है यदि उस में ही कोई हेर फ़ेर हो जाये या उन्हें नष्ट कर
दिया जाये तो सी बी आई क्या कर लेगी ?
कोर्ट की मंशा पर सवाल उठानेवाला
मैं कोई नहीं लेकिन मैं अपने व्यक्तिगत अनुभव से यह कह सकता हूं कि मध्य प्रदेश में
किसी भी स्तर पर न्यायालय न्यायदान नहीं कर रहे हैं।
इस के दो प्रमुख कारण मुझे दिखते
हैं, पह्ला इस प्रदेश में व्याप्त अन्कल जजेज की प्रव्रिति, जिस कोर्ट में वकील रह
कर प्रैक्टिस करी उसी में जज बन जाने के बाद उस कोर्ट के जूनियर वकील उस जज से सेटिंग
कर के केस का निर्णय अपनी मन मर्जी का करवा लेते हैं। उदाहरण है कि एक ज़िले में पिता
अपर कलेक्टर है तो उसकी बेटी जिले में जज और दोनों वहां के निरीह लोगों को मिल के परेशान
करते हुए भी देखा। इस प्रणाली का खुल कर कहीं दुर्पयोग कहीं देखा तो वो यहीं मध्य प्रदेश
में ।
दूसरा कारण राज्य सरकार का यह एम पी मोडल है कि यहां
जज बहुत जल्द ही उच्च्तम न्यायलय पहुंच जाते है इस का क्या राज़ है ? सरकारें उच्च न्यायलय
के जजों से सरकार के खिलाफ़ अधिकतर केसों को सरकार के पक्ष में करवा कर उनके गुण गान
करके उन जज की तरक्की करवा देती है जो उनके हिसाब से चलते है, वर्तमान में दिल्ली में
भी एक न्यायधीश एम पी से ही प्रमोट हुये हैं और व्यापम के केस की सुनवाई भी कर रहे
हैं।
आप कहेंगे कि मैं जो यह आरोप
लगा रहा हूं तो इनके क्या सबूत है मेरे पास ? तो आप को यह जान कर हैरानी होगी कि मध्य
प्रदेश में जब भी किसी केस को सरकार अपने पक्ष में करवाना चाहती है तो यहां पर उस केस
की फ़ाईल गायब हो जाती है यानी कोर्ट अपने विवेक से उस केस का फ़ैसला करे और आवेदक को
उससे संतुष्ट होना होगा । उनका फ़ैसले को आपको चैलेंज करना है तो सुप्रीम कोर्ट के चक्कर
काटो ।
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